Reconnaissance des verbes
- Reconnaître un verbe dans une phrase
- Le premier poème est un exemple où les verbes sont colorés en vert. Les sujets sont en marron et les mots anglais en mauve.
- En s’en inspirant, identifier et cliquer sur les verbes des deux autres poèmes (même code couleur).
- Vérifier les réponses à l’aide du bouton sous le tableau dans chaque onglet.
- Le cas échéant, recliquer sur une mauvaise réponse.
- Le bouton efface toutes les réponses de l’onglet sélectionné.
Exercice
बनारस में Reebok का जूता |
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पैर जैसे ही गाए के गोबर पे पड़ा |
सफ़ेद Reebok के जूते की उम्र और कीमत, दोनों याद आ गए |
पर गली के भिखमंगे बच्चों ने समझाया |
Uncle, परेशान न होइये |
दूसरे जूते को भी गोबर में डुबोइये |
अब दोनों एक ही रंग के हो जाएंगे |
न आपकी आँखों को खलेंगे |
न कीमत याद दिलाएंगे |
और तब भी आपको जूता अजीब लगे |
तो हमें दे दीजियेगा |
हम इसे गंगा-मैया में धोके ले आएंगे |
हमारे पाँव ज़माने से नंगे हैं |
इस बहाने हम भी जूता पहन पाएंगे |
बनारस का मदारी |
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बंदर-बंदरिया का खेल रोज़ चलता है |
बंदरिया आगे ज़्यादातर कभी कभी बंदर भी चलता है |
बंदर-बंदरिया का नाच घाट प रोज़ चलता है |
बंदरिया आगे ज़्यादातर कभी |
कभी बंदर भी चलता है |
मदारी की आवाज़ सुनते ही दोनों जमके dance करते हैं |
कभी बंदर पिस्तौल उठाता है |
कभी couple बनके romance करते हैं |
मैंने जाने क्यों मदारी को समझाया |
जानवर के साथ ऐसा क्यों करते हो, भाई? |
आज़ाद कर दो इन्हें! |
सारा दिन क्यों बाँधे रखते हो, भाई? |
आज़ाद कर दो इन्हें! |
मदारी मुझसे ज़्यादा पका हुआ सयाना था |
झुर्रियाँ बताती थीं, देखा इसने ज़माना था |
बोला, बाबू, नौकरी-पेशा लगते हो |
Office से कितने दिन की छुट्टी मिली है? |
हमारे बंदर की चिन्ता है |
अपने मदारी से क्यों नहीं बात करते हो? |
बनारस का साधु |
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खाट पे बैठे एक साधु से पूछा |
क्यों, बाबा, क्या कुछ वेद-शेद जानते हो या यूँ ही पाखंड करते हो? |
किस अखाड़े के हो? कौन है गुरु तुम्हारा? |
कुछ धर्म के बारे में आता-जाता है |
या यूं ही public को झंड करते हो |
साधु बड़ी देर शायद लेटा था |
आँखें पूरी खोली, ली जमाही |
पीछे से चिलम निकाली, माल डाला, चिलम जलाई |
बोला, बैठो, अभी जवाब देते हैं |
एक-आद सवाल हमारा भी है, |
तुम जवाब देनेवाले बनो, हम भी देते हैं |
साधु बोला, बेटा, जितना ख़ुद को अक्लमन्द, पढ़ा-लिखा बताते हो |
सच बताओ, life में जो कहते हो, सब कर पाते हो? |
मुस्कुराके बोला, जिस दिन मेरे साथ बैठकर सच बोल पाओगे, समझ जाओगे |
ये ज़िन्दगी है, बेटा, जिस दिन ये बेकार के सवाल बन्द कर दोगे, |
जवाब ख़ुद-ब-ख़ुद सुन पाओगे |