Reconnaissance de pronoms

Exercice

दक्षिण भारत में विजयनगर नाम का एक राज्य था। उसके राजा कृष्णदेव थे। उनकी सभा में कई विद्वान थे। उन में एक तेनालीराम थे
एक दिन एक जादूगर कृष्णदेव की सभा में आया। राजा ने उसका स्वागत किया और पूछा, “आप कौन हैं और यहाँ क्यों आये हैं।” जादूगर ने कहा, “मैं कामरूप से जादू सीख कर आया हूँ। मैंने सुना है कि आपकी सभा में कई विद्वान हैं। मैं उनके सामने अपनी कला का प्रदर्शन करना चाहता हूँ।”
जादूगर ने कई जादू के खेल दिखाये। सब दंग रह गये। उसके बाद उस जादूगर ने सारी सभा को चुनौती दी। उसका दावा था कि विजयनगर का कोई भी विद्वान जो काम कर सकता है, वह काम वह आँख बंद कर करेगा
सभा के सभी लोग उस जादूगर की कला से डर गये थे। उन्होंने अपने सर झुका लिये। पर तेनालीराम ने उठ कर कहा, “मैं एक काम आँख बंद कर कर सकता हूँ जो जादूगर आँख खोल कर नहीं कर सकता।”
जादूगर ने कहा कि यह असम्भव है और उसने तेनालीराम को वह काम कर के दिखाने को कहा। सभा के बाहर रेत का एक ढेर था। तेनालीराम ने दो मुट्ठी रेत ली, अपनी आँखे बंद की, रेत आँखों पर फेंकी और आँखों को मला। फिर उसने मुस्करा कर जादूगर ने कहा, “जरा इस काम को खुली आँखों के साथ कर के दिखाना।”
जादूगर ने हार मान ली